माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
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किताब
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किताब ज्ञान का भंडार है,
हरती मन का विकार है।
हमेशा पथप्रदर्शक बन कर,
विहार कराती संसार है।
हमें सही राह दिखाती है,
सुख दुख में साथ निभाती है।
अगर कही भी उलझन हो,
उसे सुलझाना सिखाती है।
ऊँच नीच का भाव मिटाकर,
हम सब को गले लगाती है।
एकता की डोर में पिरोकर,
जीवन का पाठ पढाती है।
भटके हुए मुसाफ़िर को,
वह मंजिल तक ले जाती है।
जो इसकी नित्य पान करे,
उसे अज्ञ से ज्ञानी बनाती है।
अच्छी किताबों से संगति बनाएँ।
स्वयं को कुविचार से बचाएँ।।
विस्तृत ज्ञान का सृजन करके।
पूरी दुनिया को लाभ पहुँचाएँ।।
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कुन्दन बहरदार
पूर्णिया, बिहार
6201665486
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