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माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

स्वतंत्रता दिवस

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 स्वतंत्रता दिवस   -------------------------------- देश का मान तिरंगा है, देश का शान तिरंगा है। नभ को चुमती मान बढ़ाती,मेरी जान तिरंगा है। माँ रक्त का आँसू बहाई,अपने सूताओं को खोई है।  बहना टूटी तिल-तिल कर, पत्नी ने सुहाग गंवाई है।  लाखों वीर  दिवानों ने, अपनी  जवानी  खोया है।  माता पिता संग देश रोया, संग में नभ भी रोया है।  रक्त से सनी धरा भी रोई, गिरी का उर पसीजा है।  सुमन पग तल पुनीत हुआ,सागर ने पाँव पखारा है।  बढ़ते चले अंगारों पर, असि दुश्मन सीने उतारा है।  लिख गये अमर वो गाथा,अब स्वतंत्र हिंद हमारा है।  आजाद हुआ पिंजरे से पंछी, नभ में पंख पसारा है।  खुशियों के पर लगे, चहुँ ओर हिंद का जयकारा है।।  वर्षों बीत गयी आजादी को, स्वाधीन भी पराधीन है।  जिसने खोया अपना सब कुछ, आज वही बेसहारा है।  दुश्मन बना भाई भाई का, कट्टरपंथी इक सहारा है।  जाति धर्म के नाम पर, सिंचित रक्तों का फव्वारा है।  हिन्दू, मुस्लिम,सिख,ईसाई, हँसकर फंदे से झूल गए। सबने दी आजादी हमको, फिर हम ये कैसे भूल गए।  आओ हम प्र...