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माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

प्रातः

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  प्रातः   ------- मंद - मंद बहती बयार। सुरभित संगम मनुहार। गगन चूमती सिंधु जल। पावन पुनीत है संसार। कैनवास पे उकेरें रंगों का,  अद्भुत  चित्रों  का भंडार। जीवंत बनाए नभ को यह,  प्रकृति का सुंदर उपहार।।  रक्त तिलक है भाल विराजे।  रश्मि पहुंचे हर घर दरवाजे।  नव उर्जा से सिंचित तन मन।  उद्वेलित आतुर कार्य को जन।  काया कल्प गुण चमत्कारी,  रोग  विनाशक  पीड़ा  हारी।  प्रातः की औषध वाली हवा,  चिर आयु बनाती है हमारी।।  नित्य करे जो प्राणायाम।  उठकर सुबह और शाम।  सबल तन समृद्ध विचार।  बढे तेज मस्तिष्क आयाम।  कुन्दन कुंज  बनमनखी,पूर्णिया  21/08/20