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माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

प्रेम कविता

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  मुक्तक . .. वो बदल गई कलियों से फूल में मैं उसे फिर भी चाहता रहा। जो ठहरी थी जाम़ बनके लबों पे  मैं उसे गीत में गुनगुनाता रहा। रंग गई इस कदर प्रेम रंग में मुझे।  मुद्दतों बाद भी आँखों से बहता रहा।  वो सोती रही सदियों तल्क उधर।  और मैं खुद को इधर जगाता रहा।  दर्द,जुदाई,रूसवाई सब मिले मुझे। फिर भी मैं खुद को बहलाता रहा।  जब भी मयस्सर हुआ उससे मेरा।  मैं अश्क़ छिपा कर मुस्कुराता रहा।  वज़्न देकर गई ग़ज़ल लिखता रहा।  तरन्नुम में सजाकर मैं उसे गाता रहा।  तालियाँ खूब बजी शोहरत भी मिली।  मैं उसे रोज अंजुमन में सुनाता रहा।।  ***************************** कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार  06/11/20