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माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

ललकार

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विधा - कविता विषय - ललकार ---------------------- वीर सपूतों की शहादत, यूँ नहीं होगी जाया। सुन  ले  चीनी  तेरी हम, मिटा  देंगे  काया।। शांति  सद्भावना  का, मार्ग  तुम्हें  दिखाया। पालना से उठाकर हमने, चलना सिखाया।। आँखें पूरी खुलती नहीं, र" आँखें दिखाता है। हमारी जमीन छीनकर, हमीं को धमकाता है। सुन ले अबकी बार, गलवान में संहार होगा। खेत होगी तेरी, और खंजर आर पार होगा।। लाशें गिरेगी तेरी, बम गोलों का बौछार होगा। मत छेड़ हमें नहीं तो,चहुँ ओर चीत्कार होगा।। सामान बेचता है हमको, हमीं पे धौंस जमाता है। पीठ पीछे कायर तू, मेरी जमीं पे घर बनाता है।। छोड़ दे कायराना, नहीं तो चहुँ ओर प्रहार होगा। धू- धू जलेगा सामान, धराशायी  बाजार  होगा।। कर्ज देकर के, छोटे देशों को जाल में फंसता है। ब्याज नहीं चुकाने पर, उनकी जमीं हथियाता है।। तेरी  चतुराई  अब  यहाँ, हरगिज  नहीं  चलेगी। एक शहीद के बदले में,तेरी कई चि ताएं जलेगी।। नेपाल सुन ले तेरा भी, चीन संग बदहाल होगा। पाक खोयेगा पोक,जब भारत से धमाल होगा।। ----...