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माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

चमकू का रिसता घर

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चमकू का रिसता घर  -------------------------- स्वर्ग से भी सुन्दर, है मेरा घर, खिलता धूप, झूमती है बयार। हाड़मांस है, बाँस,पंक, घास,  सर पर लाल टाली का पहाड़।  मौखा सोहे सप्त रंगी चित्र,  घर में नहीं लगा है किवाड़।  कहूँ चूहा बसे कहुँ है सुराग।  स्वर्ग से सुन्दर,मेरा संसार।  पापा मम्मी हम साथ रहे।  भैया का छोटा है परिवार।  खुशियों से सजा, मेरा घर,  मिलता सबकों जहाँ प्यार।  इन्द्र  देव  की, अनुकम्पा  से।  छत से गिरे सावन की फुहार,  शीत, उष्ण  होता  है  मनुहार,  जब उपजती है फसल अपार।  पुरखों की कुछ जागीर मिली।  मत्स्य का चला आ रहा व्यापार,  घर बनाए या बच्चों को शिक्षा दे,  अब बाबूजी भी रहते हैं बीमार।  यह कैसी विपदा है आन पड़ी?  ईश करो मेहनतकश का जुगाड़।  गाँव, शहर, हाट सब बंद पड़े हैं।  वैश्य  वर्ण  का  कर दो उद्धार।।  कुन्दन कुंज  बनमनखी, पूर्णिया  6201665486