माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

नज्म़

 नज्म़ 

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मोहब्बत में मैंने खुद को, खुद से भूला दिया।

जफ़ा की उसने मुझसे,बेवफ़ा मुझे बना दिया।


पलकों पर बैठाया था, जिसको मैंने अपना।

माना रब्बा जिसको, जिसको अपना सपना। 


इक पल में उसने मुझे, नजरों से गिरा दिया।

जहर जिंदगी का, मुस्कुरा कर पिला दिया।।


झूठे  वादें  कसमें, तेरी वो  बेखयाली  बातें।

संग बिताई, वो भींगी- भींगी बरसाती रातें।। 


मुझसे मुझको तूने, क्यों इतना खफ़ा किया। 

खुद के नजरों में मुझको, कातिल बना दिया। 


आँखों से बहती नदियाँ,कटती नहीं है रतिया। 

मुझसे मुझको तूने,क्यों इस कदर जुदा किया। 


कुन्दन कुंज 

बनमनखी, पूर्णिया 

17/08/20







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