माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

वट सावित्री व्रत

विधा- कविता 
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विषय - वट सावित्री व्रत
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खोले पट ज्येष्ठ मास का, वट सावित्री का त्योहार! 
जो शुक्ल पक्ष में वट पूजते, उन्हें मिले फल मनुहार!! 

मिले ओजस्वी पुत्र उसे, लगाए सावित्री का ध्यान! 
दीर्घायु हो पति देव का, और  पाए  अखंड  ज्ञान!! 

ब्रम्हा, विष्णु  और  महेश, देते  हैं  उसे  वरदान! 
पतिव्रत के संस्कारों का, जो नारी करे सम्मान!! 

वट के नीचे कथा सुने, और जो करता है ध्यान! 
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अमरत्व की प्राप्ति होती, बाँझन भी पाए संतान!! 

पतिव्रता  सावित्री  ने, तप  से  बचाई  थी  जान! 
साल्व नरेश सत्वान को, मिला था एक जीवनदान!! 
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कुन्दन बहरदार 
पूर्णिया, बिहार 
6201665486 


टिप्पणियाँ

  1. आप के शब्द मेरे मन को मौह लेते हैं
    ऐसे ही कविताए लिखते रहे,आगे बढते रहे और हमलोगो को आनंदित करते रहे ।।

    जवाब देंहटाएं

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