माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
1.किरांत
----------
मम्मा देखों यह मेरा किरांत।
लगता है यह कितना शांत।।
जब भी मैं हूँ इसको चलाता।
तुरंत क्यों हो जाता अशांत।।
मम्मा तू भी इसे चलाओ न।
चाभी को तेज घुमाओ न ।।
काजू, कचरी और पराठा।
इसको जल्दी खिलाओ न।।
भूख लगी है इसको ज्यादा।
इसे खिला दो पराठा आधा।।
हम दोनों साथ सो जायेंगे।
बिस्तर जल्दी लगा दो न।।
2. गाड़ी
-----------
मेरी गाड़ी कितनी प्यारी।
यह जग में है सबसे न्यारी।
मैं रोज इसको चलाता हूँ।
अपने पास इसे सुलाता हूँ।।
लाल, हरा रंग इसकी शान।
मुझको करता है परेशान ।।
जब भी मैं हूँ इसको चलाता।
मुझमें भरता है यह जान।।
मम्मा जब है चाभी भरती।
बहुत तेजी से यह है घूमती।।
घूम- घूम कर सैर कराती।
मेरे मन को है यह हर्षाती।।
कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
29/07/20
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
शुक्रिया आदरणीय पाठक कि आपने हमें अपना कीमती समय दिया।
अगर आपको कोई भी समस्या है हमारे पोस्ट से जुडा हुआ तो हमें अवश्य सूचित करें। ताकि उन त्रुटियों का तुरंत निवारण कर सके।
और यदि आप अपना कोई सुझाव देना चाहते हैं तो हमें अवश्य दें।
आप हमें मेल कर सकते हैं
kundanbahardar@gmail.com
पर