माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

गीत

 

गीत 

...... 

कैसे- कैसे रे! गाऊं मैं गीत, 

रे  सखी ....... तेरे बिना।


जबसे गया है छोड़ प्रीत,

लागे नहीं जिया उसके बिना।{2}


बालि उम्र को मोहे क्या हो गया है? 

उनकी यादों में देखों कैसे खो गया है। 

ढूंढता है अक्सर कोई बहाना, 

लवों पे रहता है उनका तराना। 


कैसे- कैसे रे! गाऊं मैं गीत, 

रे  सखी ....... तेरे बिना।{2} 


कोई तो वैद्य, हकीम को बुलाओ, 

मोरे मनमीत को मुझसे मिलवाओ। 

सांसे  मोहे  है  कबसे  अटकी, 

धड़के नहीं जिया उसके बिना। 


कैसे- कैसे रे! गाऊं मैं गीत, 

रे  सखी .... ... तेरे बिना।{2} 


कुन्दन कुंज 

पूर्णिया, बिहार



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