माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

बाल कविताएँ

1.

किरांत
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मम्मा देखों यह मेरा किरांत
लगता है यह कितना शांत।।
जब भी मैं हूँ इसको चलाता।
तुरंत क्यों हो जाता अशांत।।

मम्मा तू भी इसे चलाओ न।
चाभी को तेज घुमाओ न ।।
काजू, कचरी  और  पराठा।
इसको जल्दी खिलाओ न।।

भूख लगी है इसको ज्यादा।
इसे खिला दो पराठा आधा।।
हम दोनों  साथ सो  जायेंगे।
बिस्तर  जल्दी लगा  दो न।।

2. 

गाड़ी
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मेरी  गाड़ी  कितनी प्यारी।
यह जग में है सबसे न्यारी।
मैं रोज  इसको चलाता हूँ।
अपने पास इसे सुलाता हूँ।।

लाल, हरा रंग इसकी शान।
मुझको करता है परेशान ।।
जब भी मैं हूँ इसको चलाता।
मुझमें  भरता  है यह जान।।

मम्मा जब है चाभी भरती।
बहुत तेजी से यह है घूमती।।
घूम- घूम कर  सैर कराती।
मेरे मन को है यह हर्षाती।।

कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
29/07/20


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