माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

टिंकू और मोबाइल

 कहानी _

(टिंकू और मोबाइल )


एक जंगल में एक टिंकू नाम का लड़का रहता था। जो बहुत ही चालाक एवं होशियार था। वह अपना सभी काम समय पर किया करता था। वह बहुत ही लगनशील एवं परिश्रमी भी था।

वह रोज सुबह सवेरे जग जाता और अपना सभी काम समय पर कर लेता । खुद खाना बनाता और खाकर विद्यालय चला जाता। वह हमेशा नियमित समय पर विद्यालय जाता तथा अपना सभी गृह कार्य को भी पूरा कर लिया करता था। जिसके कारण उसे सभी शिक्षकों का बेहद प्यार मिलता था। और, वह पूरे विद्यालय में अव्वल आता था। फिर भी उसे तनिक भी घमंड नहीं था। वह अपने सभी दोस्तों के साथ खूब मौज मस्ती करता और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करता था।

                   एक दिन की बात है जब वह विद्यालय से घर की ओर जा रहा था तो उसे सड़क के किनारे एक डब्बा मिला। पहले तो वह उस डब्बा को छूने से डर रहा था क्योंकि उसे विद्यालय में एक दिन बताया गया था कि बाहर पड़ी डिब्बे या खिलोने को नहीं उठाना चाहिए क्योंकि उस डब्बे या खिलोने के अंदर बम हो सकता है। जिससे तुम्हारी जान जा सकती है।और, इसी बीच उसने शिक्षक से प्रश्न भी किया था कि_ "बम क्या होता है और यह कैसे फटता है ?" लेकिन शिक्षक ने उसे डांटते हुए यह कहकर बैठा दिया था कि बड़े होकर आगे के वर्ग में तुम्हें इसके बारे में बताया जायेगा। इसलिए वह डब्बा उठाने से डर रहा था। पहले तो वह डब्बा को छोड़कर कुछ दूर आगे बढ़ गया लेकिन जब अचानक से उसके मन में वहीं सवाल आ टपका जो उसने अपने शिक्षक से पूछा था कि _"बम क्या होता है?और यह कैसे फटता है? " तब वह पुन: उस डिब्बा के पास आया और डरते हुए उसे उठा लिया । और, मन में ढेरों सपने संजोए वह खुशी खुशी घर को चल दिया। जब वह घर पहुंचता तो वह सबसे पहले उस डब्बा को खोला । जब वह उस डब्बा को खोला तो उसे एक Honor 6x का एक फोन दिखाई दिया जिसे देखकर वह बहुत खुश हुआ । मानों जैसे उसे अलाउद्दीन का चिराग मिल गया हो। पहले तो उसे अपने आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। वह उस मोबाईल को उठाता और पुनः डब्बा में रख देता। कुछ समय तक यह सिलसिला यूंही चलता रहा। 

हाथ में मोबाइल लेकर वह अचानक से कुछ सोचने लगा। उसे लगा कि जरूर किसी ने उल्लू बनाने के लिए खराब मोबाइल को डब्बा में बंद करके इसे फेंक दिया होगा। परंतु उन्होंने फिर फोन को आॅन करने का फैसला किया। लेकिन ज्यों ही उन्होंने फोन को आॅन किया तो फोन से तीन बार टिक - टिक- टिक की आवाज आई और जोरदार आवाज के साथ बूम से फट गया। जिससे पलक झपकते ही टिंकू की मृत्यु हो गई। और उसका सारा सपना उसी फोन के साथ चला गया। अतः "हमें हमेशा अपने शिक्षकों एवं बड़ों की बातों को मानना चाहिए। और कोई भी फेंकी वस्तु को कभी नहीं उठाना चाहिए।"

✍🏻कुंदन बहरदार 

पूर्णिया(बिहार) 

09.06.19 





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