माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

चित्र
 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

नज्म़

नज्म़
------------
अगर खता हुआ है तो खता होने दीजिए।
इक दफ़ा फिर से हमें जफ़ा होने दीजिए।

मैं  लूट  गया  मय के साथ मयखाने में।
फिर से बेवफ़ा को बेवफ़ा होने दीजिए।

बहुत अश्क़ बहाया है उसकी यादों में दिल।
अश्क़ो की दरिया में इसे सफ़ा होने दीजिए।

हर बार ठोकरें खाया है मुहब्बत के पत्थर से।
हक है इसका इसे यार से खफ़ा होने दीजिए।

इश्क़  बिकता है इस शहर में तो खरीद लें।
इक दफ़ा दिल को घटा से नफा होने दीजिए।
---------------------------------------------------------
कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
11/10/20



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समसामयिक दोहे

रक्षाबंधन पर कविताएं

प्रेम कविता