माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

गीत

गीत
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मेरा दिल भी कितना पागल है।
ये  प्यार  उसी  से  करता  है।
जो  दूर   हो   नजरों  से।
रोज़  उसी  पे  मरता  है।।

वो खुश है गैरों की बाहों में
ये दिन- रात यहाँ तरपता है।

वो  जश्न   मनाती   है  वहाँ
ये अश्क़  यहाँ पे बहाता है।

जिसे इसका कोई कद्र नहीं
ये पाँव  वहीं  पे जमाता है।।

पलकों पे बैठाया था जिसे
सिने से लगाया था जिसे।

माना  था  रब्बा जिसे तूने
नजरों से गिराई आज तुझे।

संभल जा अब भी वक्त है
क्यों हद से ज्यादा गुजरता है।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
27/09/20













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