माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

सफर

 सफर सहर बन गया 

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सफर शून्य

सा लगने लगा है।

उमर किस्तों में

बटने लगी है।

न जाने कौन सी 

बयार आखिरी होगी। 

सांसों का स्पंदन 

घटने लगा है। 

क्षितिज की ओट 

में अनंत नभ 

ज्यों मद्धिम मद्धिम

सिमटने लगा है। 

ले लो कुबेर 

सारा तुम ।

बस कुछ लम्हा 

मुझे लौटा दो। 

घूम लूँ परिधि भर 

इस दुनिया को 

कोई मुझे इसके 

केंद्र में बैठा दो। 

धमनियों में 

दौडता रक्त 

दुर्बल होती 

मांसपेशियां। 

सभी सफर में 

हमसफ़र बन कर

रह गया है। 

दर्द, जख्म़ जिंदगी 

के सारे 

पानी बन बह गया। 

अब थक गया है 

मुसाफ़िर चलते चलते 

सफर सहर 

बन गया है।। 

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कुन्दन कुंज

बनमनखी, पूर्णिया 

10/10/20



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