माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
गिरि से लिपटी, मतवाली हिम की चादरें।
यह अद्भुत अनोखा,कुदरत का नज़राना।।
ये झूमती, चहकती, और महकती वादियाँ।
सुनहरी रश्मि की वल्लरी, नभ की क्यारियाँ।
बहती खूबसूरती की धारा, गगन की छाया।
रश्मि भरी आँखों से, गिरा रही बिजलियाँ।।
दुल्हन - सी सजी, परी लगती है वादियाँ।
मनमोहनी जादूगरनी सी,दिखती है वादियाँ।
झरनों के तान पर, नित्य थिरकती शब यहाँ।
सदियों से नयी-नयी, गढ़ रही है कहानियाँ।।
प्रेम के फलों से, चहुँ ओर लदी हुई है डालियाँ।
खुशबूओं संग हवा, और मचल रही है कलियाँ।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
बिहार, (04/09/20)
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