माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

वादियाँ

वादियाँ

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मैं ठहरा मुसाफ़िर, मुहब्बत का दिवाना।
प्रकृति के अंक में, मैंने सौंदर्य को जाना।

गिरि से लिपटी, मतवाली हिम की चादरें।
यह अद्भुत अनोखा,कुदरत का नज़राना।।

ये झूमती, चहकती, और महकती वादियाँ।
सुनहरी रश्मि की वल्लरी, नभ की क्यारियाँ।

बहती खूबसूरती की धारा, गगन की छाया।
रश्मि भरी आँखों से, गिरा रही बिजलियाँ।।

दुल्हन - सी  सजी, परी लगती है  वादियाँ।
मनमोहनी जादूगरनी सी,दिखती है वादियाँ।

झरनों के तान पर, नित्य थिरकती शब यहाँ।
सदियों से नयी-नयी, गढ़  रही है कहानियाँ।।

प्रेम के फलों से, चहुँ ओर लदी हुई है डालियाँ।
खुशबूओं संग हवा, और मचल रही है कलियाँ।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
बिहार, (04/09/20)



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