माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

मैं औ'मेरे ख्वाब

 मैं औ'मेरे ख्वाब 

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मैं रोता हूँ, दर्द की सैय्या पर सोता हूँ।

रश्मि की डोरी में,खुद को पिरोता हूँ।। 


अगणित ख्वाबों को अंतस्थ में लिए।

उनकी वाटिका में खुद को डुबोता हूँ।।


अजनबी को देख भभर जाते हैं सब। 

धीरे - धीरे दोस्ती का हाथ बढाता हूँ।। 


हम अपरिचित से परिचित होने लगे। 

इस दुनिया की दास्तान उन्हें सुनाता।।


अविचलित हुए, कर्ण साधे मुझ पर। 

मैं शब्दों का अंजुमन वहाँ सजाता हूँ। 


खुद को छोड़ वहाँ राख लाया हूँ यहाँ। 

अरमानों के चिताओं से दर्द निगोता हूँ। 

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कुन्दन कुंज 

बनमनखी, पूर्णिया 

बिहार, 6201665486 







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