माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
हिन्दी दिवस
हिन्दी हिंद के रज कण में भरती है जान।
हिन्दी बिना सूना है समस्त हिंद का प्राण।
हिन्दी जन-जन की भाषा है हमारी मान।
हिन्दी नीर, शब्द सुधा हिन्दी है पहचान।।
दिनकर,पंत, कबीर सबने छोड़े शब्द बाण।
बढाई हिन्दी की परिधि हुआ जन कल्याण।
अश्वघोष की बाणी बच्चन की मधुशाला।
तुलसी, मुंशी, महादेवी औ' छाये निराला।
कई सूरमाओं ने हिन्दी में चार चाँद लगाया।
सबने अपनी लेखनी से इसका मान बढ़ाया।
आज विश्व के शिखर पटल पे है इसकी शान।
मैं हूँ हिन्दी का सेवक, खुद पे है अभिमान।।
हिन्दी लगती मिसरी मलाई शब्दों की है परी।
माँ की मीठी लोरी, पापा की लगती है छड़ी।
कुछ लोग हिन्दी बोलने से क्यों कतराते हैं।
अपनी मातृभाषा छोड़ अंग्रेजी फरमाते हैं।
कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
बिहार, 14/09/2020
उत्कृष्ट रचना हिंदी दिवस पर ।बधाई हो आपको ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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