माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

हिन्दी

 हिन्दी दिवस 

हिन्दी  हिंद  के रज कण में भरती है जान।
हिन्दी  बिना सूना है समस्त हिंद का प्राण।
हिन्दी जन-जन की भाषा  है हमारी मान।
हिन्दी नीर, शब्द सुधा  हिन्दी है पहचान।।

दिनकर,पंत, कबीर सबने छोड़े शब्द बाण।
बढाई हिन्दी की परिधि हुआ जन कल्याण।
अश्वघोष  की बाणी  बच्चन की मधुशाला।
तुलसी, मुंशी, महादेवी  औ' छाये  निराला।

कई सूरमाओं ने हिन्दी में चार चाँद लगाया।
सबने अपनी लेखनी से इसका मान बढ़ाया।
आज विश्व के शिखर पटल पे है इसकी शान।
मैं हूँ हिन्दी  का सेवक, खुद पे है  अभिमान।।

हिन्दी लगती मिसरी मलाई शब्दों की है परी।
माँ की  मीठी लोरी, पापा की लगती है छड़ी।
कुछ  लोग  हिन्दी  बोलने से क्यों कतराते हैं।
अपनी  मातृभाषा  छोड़  अंग्रेजी  फरमाते हैं।

कुन्दन कुंज

बनमनखी, पूर्णिया

बिहार, 14/09/2020



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