माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
प्रातः
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मंद - मंद बहती बयार।
सुरभित संगम मनुहार।
गगन चूमती सिंधु जल।
पावन पुनीत है संसार।
कैनवास पे उकेरें रंगों का,
अद्भुत चित्रों का भंडार।
जीवंत बनाए नभ को यह,
प्रकृति का सुंदर उपहार।।
रक्त तिलक है भाल विराजे।
रश्मि पहुंचे हर घर दरवाजे।
नव उर्जा से सिंचित तन मन।
उद्वेलित आतुर कार्य को जन।
काया कल्प गुण चमत्कारी,
रोग विनाशक पीड़ा हारी।
प्रातः की औषध वाली हवा,
चिर आयु बनाती है हमारी।।
नित्य करे जो प्राणायाम।
उठकर सुबह और शाम।
सबल तन समृद्ध विचार।
बढे तेज मस्तिष्क आयाम।
कुन्दन कुंज
बनमनखी,पूर्णिया
21/08/20
So Nice lines🎉🎉✨💐
जवाब देंहटाएंलाजवाब 👌👌👌
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