माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

प्रेम

विधा-कविता
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विषय - प्रेम
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प्रेम के जटाओं से निकला,
अपना  यह  पूरा संसार है।
प्रेम पलता जिस जगह पर,
वहीं  खिलती  बहार  है ।।

प्रेम की लहरों से टकराकर,
पिघलता  भीष्म  चट्टान है।
प्रेम  की  शीतल  छाया  में,
पल्लवित होता परिवार है।।

प्रेम  दुःख  को  है  बाँटता,
दोस्ती का परम हथियार है।
प्रेम रस जिन उर में बहता,
पुनीत गंगा का अवतार है।।

प्रेम  वसुधा  की  जान  है,
अनंत नभ का विस्तार है।
प्रेम बिना जीवन है नीरस,
ज्यों ज्योत बिं अंधकार है।।

प्रेम   सभी  रंगों  का  द्योतक,
जीवन रूपी नैया का पतवार है।
प्रेम सृष्टि के कण-कण में बसा,
प्रकृति का  सोलह  श्रृंगार  है।।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
बिहार (6201665486)
23/07/20


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