माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
विधा-कविता
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विषय - प्रेम
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प्रेम के जटाओं से निकला,
अपना यह पूरा संसार है।
प्रेम पलता जिस जगह पर,
वहीं खिलती बहार है ।।
प्रेम की लहरों से टकराकर,
पिघलता भीष्म चट्टान है।
प्रेम की शीतल छाया में,
पल्लवित होता परिवार है।।
प्रेम दुःख को है बाँटता,
दोस्ती का परम हथियार है।
प्रेम रस जिन उर में बहता,
पुनीत गंगा का अवतार है।।
प्रेम वसुधा की जान है,
अनंत नभ का विस्तार है।
प्रेम बिना जीवन है नीरस,
ज्यों ज्योत बिं अंधकार है।।
प्रेम सभी रंगों का द्योतक,
जीवन रूपी नैया का पतवार है।
प्रेम सृष्टि के कण-कण में बसा,
प्रकृति का सोलह श्रृंगार है।।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
बिहार (6201665486)
23/07/20
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