माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

प्रेम गीत

गीत

तेरा कंचन बदन,
सुरभित है छन्द।
तुम हो मेरी जां,
दिल की धड़कन।।

बजे जब नुपूर,
थिरके हैं मन।
तिरी यादों में,
भींगे हैं नयन।।

ये कैसा विरह,
जले मेरा तन।
अब सुनसान है,
वो पुष्पित चमन।।

देखूँ राह मैं,
तेरी गुलबदन।
तृष्णा में मयूर,
ज्यों देंखे गगन।।

झुमू ऐसे मैं,
ज्यों मद्यप पवन।
वैरागी हुआ,
मेरा अन्तर्मन।।

तुम हो तो जान,
रात  हसीन  है।
हर लम्हा मेरा,
अब  रंगीन  है।।

जिये साथ मरे,
हो अटूट बंधन।
जब भी हो जन्म,
तुम बनना दुल्हन।।

कुन्दन "कुंज"

बनमनखी 

पूर्णिया, बिहार।


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