माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

चित्र
 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

बाल मजदूर

विधा- कविता 

------------------

विषय - बाल मजदूर 

--------------------

बोलती कहानी 

-------------------

ख्वाबों की दरिया,

समंदर सी जवानी।

छोटी-सी उमर में,

यह कैसी कहानी?


जिसे धूप से स्नेह,

टपके छत से पानी।

बयां करती मेहनत, 

ये शिकन की निशानी। 


हाय  रे! किस्मत, 

तेरी कैसी मनमानी?

भूख और बीमारी, 

बढ़ाती परेशानी।


देश का कोहिनूर, 

लगाता है सानी। 

रंजित  कोयला, 

शासक ख़ानदानी। 


लबों पर मुस्कान, 

सबकी है ज़बानी। 

जख्म़ों से भरा उर, 

दिल है हिन्दुस्तानी। 


लाखों बेबस बच्चों की, 

है दर्द भरी ज़िन्दगानी।   

चीख़ती  है  कलम, 

बोलती  है  कहानी।। 

2 0
कुन्दन "कुंज" 
पूर्णिया, बिहार 




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समसामयिक दोहे

रक्षाबंधन पर कविताएं

प्रेम कविता