माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
ऋद्धि सिद्धि हे त्रिपुरारी!
सुनों हे गुरुवर मेरे मुरारी।
तुम हो जौहरी मेरे दाता।
तुझपे जाऊँ मैं बलिहारी।
मानव तन में तू है विधाता।
जड़ चेतन को ज्ञानी बनाता।
तेरी शरण में जो भी आता।
ज्ञान दीप्त है वो मनु पाता।।
विकार मन का तू है हरता,
तेज पुंज रग- रग में भरता।
सारे देवगण तेरा अनुयायी,
तेरा सुमिरन सब है करता।
एकलव्य सम मैं बन जाऊँ,
तेरे चरण में भुजा मैं चढ़ाऊँ।
तू है द्रोण तू ही है शुक्राचार्य,
तेरी महिमा सब को सुनाऊँ।
तुम हो सृष्टि के ज्ञान सागर,
हम सब का गुरु तू प्रभाकर।
शूरवीर सबको एक ही जनता,
माँ -पिता है परम अभियंता।।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
बिहार, 6201665486
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंVery beautiful creation 👏👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंअतिउत्तम रचना🥰👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएं❤️❤️
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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