माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

नज्म़ (किसने देखा है)

 नज्म़ 

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इस सदी के चाँद को किसने देखा है।

मौत होगी उससे पहले किसने देखा है।


ठहर जाओ वक्त को खरीदने वालों।

राजा को रंक बनते किसने देखा है।


महकती कलियाँ तोड़ मुस्कुराते हो। 

इन्हें दर्द से तरपता किसने देखा है। 


धनु पे शर रख खुद पर अजमाते हो।

मौत को करीब आते किसने देखा है। 


चन्द मुसीबतों के फंदे से लटकने वालों। 

 मौत से जिंदगी हसीन है किसने देखा है। 


खुद पे अकीन नहीं पर रब को मानते हो। 

खुदा  जमीन  पर  है उसे  किसने देखा है।


तरासता चल गतिशील होकर मेहनत से। 

किस्मत का पन्ना पलटते किसने देखा है।।


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कुन्दन कुंज 

बनमनखी, पूर्णिया 

30/09/20





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