माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan
नज्म़
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ग़मों का सागर, जख्म़ों की धारा।
सिंधु से भी गहरा, प्यार हमारा।।
डूब गया, अविश्वास की लहरों से,
मिला ना जिसको, आज किनारा।
मौसम से पहले ही, बदल गया।
अपनी खिलती, बागों का नज़ारा।
किए जो वादें, साथ निभाने का।
मुझको मिला ना, उसका सहारा।।
चाहा उसे मैंने, खुद से भी ज्यादा।
जीत कर भी बाजी, है मैंने हारा।।
जिस्म से रूह भी, जाने लगी है।
खोने लगा है नूर, चाँद सितारा।।
जिसको हर पल था, मैंने निखारा।
उसने जीते जी है, मुझको मारा।
खुशियाँ मिले उसे, मेरे हिस्सा का।
मुझे मिल जाए दर्द, उसका सारा।।
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कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णियाँ
बिहार 13/09/20
❤️❤️
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