माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

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 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

दोहे

 दोहे 

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लूटा  गाँव  जवार है, कभी  बूझा न प्यास।

नेता  बना  सियार  है, मन  से  टूटा आस।


धुँआ - धुँआ है आसमां, जहरीला  है बास।

काफ़िर को मिला घर है,संतों को बनवास।


अन्न बिना  बबुआ मरे, छूट गया  रोजगार। 

दिन रात  जो काम करे, उनपर अत्याचार। 


मजदूर  किसान  व  युवा, हुआ  बेरोजगार। 

प्रलोभन दे रहा हमें,विकसित करब बिहार। 


जागृत   हुई   है  जनता, बदलेगी  सरकार। 

जन जन से है आ रही, इक मत का हुंकार।

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कुन्दन कुंज 

बनमनखी, पूर्णिया,

बिहार, ३०/१०/२०





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