माँ पर बेहतरीन गीत //kavi kundan

चित्र
 माँ  ख्वाबों में तू है ख्यालों में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तूझे दिल में बसाया है पलकों पर बैठाया है अपने मन के मंदिर में सिर्फ तेरा घर बनाया है मुझमें बहता हर रक्त है तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। तू भगवान हमारा है तू पहचान हमारी है तूझे कैसे बताऊँ माँ तू तो जान हमारी है सांसों में तू है धड़कन में तू मेरा है जन्नत मेरी है आरज़ू। कुन्दन कुंज  पूर्णिया, बिहार 

ग़ज़ल

 


नज्म़ 
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मेरा दिल वापस कर दो तुम। 
मेरा जख्म़ी दिल भर दो तुम।

तन्हाइयों  में  मैं हूँ अकेला। 
उसे  भी  पूरा   कर दो तुम।

भटक रहा मन बावला बन।
इसको आ कर ठहर दो तुम। 

नींद जो छीनी है आँखों से। 
उसको  जरा  इधर दो तुम। 

परेशान हुआ जिन्दगी से मैं। 
मुझको  अब  जहर दो तुम। 

अगर वो भी नहीं मिलती है। 
तो मौत को ही खबर दो तुम।

खो जाऊँ मैं  अनंत नभ में।
ऐसा कोई रहम कर दो तुम। 
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कुन्दन कुंज 
बनमनखी, पूर्णिया 
25/09/20






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